बाल उपन्यास

मंगलवार, अप्रैल 19, 2005

बालगीत -1

बालगीत
हल्लम हल्लम हौदा हाथी चल्लम चल्लम
हम बैठे हाथी पर हाथी हल्लम हल्लम
लम्बीं लम्बीं सूंड़ फटा फट फट्टर फट्टर
लम्बें लम्बें दांत खटा खट खट्टर खट्टर
भारी भारी सूंड़ मटकता झम्मम झम्मम
पर्वत जैसी देह थुल थुली थल्लम थल्लम
हल्लर हल्लर देह हिले जब हाथी चल्लम
खम्भे जैसे पाँव धमा धम धम्मम धम्मम
हाथी जैसी नहीं सवारी अग्गड़ बग्गड़
पीलवान पुच्छन बैठा है बांधे पग्गड़
बैठे बच्चे बीस सभी हम डग्गम मग्गम
-डॉ० श्री प्रसाद